व्रतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्रत एकादशी का होता है. एकादशी का नियमित व्रत रखने से मन की चंचलता समाप्त होती है. धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है. होर्मोनस की समस्या भी ठीक होती है तथा मनोरोग दूर होते है. उत्पना एकादशी का व्रत आरोग्य, संतान प्राप्ति तथा मोक्ष के लिए किया जाने वाला व्रत है. कैसी भी मानसिक समस्या हो इस व्रत के प्रभाव से दूर हो जाती है. मौसम और सेहत की दृस्टि से इस मौसम में फल खाना अनुकूल होता है. इसलिए इस व्रत में फल को शामिल किया गया है.
ये व्रत दो प्रकार से रखा जाता है. निर्जल और फलाहारी या जलिय व्रत, निर्जल व्रत स्वस्थ व्यक्ति ही रखे. अन्य या सामान्य लोगो को फलाहारी या जलिय व्रत रखना चाहिए. इस व्रत में दशमी को रात में भोजन ना करे. एकादशी को सुबह श्रीकृष्ण की पूजा करे. इस व्रत में केवल फलों का ही भोग लगाया जाता है.
तामसिक आहार, विचार और व्यवहार से दूर रहे. श्रीहरि को अर्घ्य देकर ही दिन की शुरुआत करे. अर्ध्य केवल हल्दी मिले हुए जल से ही दे. रोली या दूध का प्रयोग ना करे. सेहत ठीक ना हो तो उपवास ना रखे.
संतान की कामना करते पति–पत्नी सुबह सयुंक्त रूप से श्रीकृष्ण की उपासना करे. पीले फल, पीले फूल, तुलसी दल और पंचामृत चढाएं. “ॐ क्लीं देवकी सुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते, देहि में तनयं कृष्ण त्वामहं शरणम गता” का जाप करे. पति–पत्नी एक साथ फल और पंचामृत ग्रहण करे.
सभी कामना की पूर्ति के लिए भगवान कृष्ण को फल, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करे. इसके बाद “क्लीं कृष्ण क्लीं” का जाप करे.
गुड लक: अगर बृहस्पति के कारण जीवन में समस्या है तो हर बृहस्पतिवार को धर्मस्थान पर केले का दान करे.
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