जीव की मुख्य रूप से चार आवश्यकताएं है. आहार, निंद्रा, भय और मैथुन. सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है आहार. आहार से निर्माण और विकास की प्रकिर्या पूरी होती है. आप भले ही खाद्य पदार्थो से आहार ना ले. मगर कही ना कही से आपको उर्जा लेनी ही होगी. बिना ऊर्जा के जीवन की लंबे समय तक कल्पना नहीं की जा सकती है.
शरीर के मानसिक स्तर का निर्माण विभिन्न कोशो से होता है. इनमे एक कोष अन्नमय कोष भी है. इस कोष की शुद्धि के बिना मन की शुद्धि तक नहीं जा सकते. आहार से ही हमारी कोशिकाओं का निर्माण होता है. उन्हीं कोशिकाओं से शरीर मैं रस का क्षरण होता है. रस से हमारी सोच में विकास और परिवर्तन आता है. जिस तरह का आहार हम ग्रहण करते है. उसी तरह का व्यवहार और विचार हमारे अंदर आते है.
असात्विक आहार: प्याज, लहसुन, सरसो का साग, मशरूम, मांस, मछली, मादक पदार्थ डब्बाबंद खाद्य पदार्थ, बासी खाना सात्विक आहार नहीं है. सात्विक आहार: सभी प्रकार के अनाज और दाल, दूध और इससे बने पदार्थ, सभी प्रकार की सब्जियां, फल और मेवे सात्विक आहार है.
ज्यादा भावुक स्वभाव के है तो गुड, मीठी चीजे खाएं. रोटी खायें. बासी न खाये. ज्यादा गुस्सेल है तो प्याज, लहसुन, मांस–मछली न खाये. ज्यादा तनाव पालने की आदत है तो दूध और दूध से बनी चीजे ग्रहण करे. मशरूम और कंद न खाये. शरीर से परेशान है तो ज्यादा से ज्यादा सब्जियां खाएं, अनाज कम खाएं. बुरे विचारों से परेशान है तो मांस, मछली, प्याज, लहसुन न खाएं. मसूर की दाल से भी परहेज करे.
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